Wednesday 1 October 2014

राजनीति के रत्न, लाल बहादुर शास्त्री


राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का अभिनंदन करते हुए, 2 अक्टुबर को जन्में गाँधीवादी विचारधारा से ओतप्रोत लाल बहादुर शास्त्री जी का भी वंदन करते हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को दर किनार करते हुए काम की चिन्ता करते थे, न की नाम की। जातिवाद का विरोध करते हुए उन्होने अपने नाम के आगे से श्रिवास्तव सरनेम हटा दिया था। विद्यापीठ से मिली शास्त्री की उपाधी से ही वे जनमानस में लोकप्रिय रहे। भारत की आजादी के उपरान्त काम के प्रति उनकी निष्ठा, परिश्रम तथा विश्वास को देखते हुए उन्हे उत्तर प्रदेश मंत्रीमंडल में संसदिय सचिव बनाया गया। उत्तर प्रदेश सरकार में जब वह गृहमंत्री थे तब उन्हे कांग्रेस का महामंत्री बनाया गया। केंद्रिय मंत्रीमंडल में रेलमंत्री के रूप में उन्होने बहुत अच्छा काम किया था। किंतु दो रेल दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिये। उनके समर्थन में हजारों तार एव खत आये परंतु उन्होने दुबारा रेलमंत्री का पद ग्रहण नही किया। उनके अद्भुत व्यक्तित्व का ही परिणाम था कि, नेहरु जी के बाद श्री शास्त्री जी को प्रधान मंत्री बनाया गया। प्रधान मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अनेक चुनौतियों से युक्त था। फिर भी वे तनिक भी विचलित हुए देशहित के लिये अनेक निर्णय लिये, जिसमें 1965 की सुबह पाकिस्तान का भारत पर अचानक आक्रमण, अत्यधिक चुनौतिपूर्ण था। इस कार्य को शास्त्री जी ने बहुत ही सजगता पूर्ण किया। उन्होने देश को एक सफल नेतृत्व प्रदान किया। शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा देकर राष्ट्र के दो आधार स्तंभो, सैनिकों और किसानों का मनोबल बढाया। 

शास्त्री जी का जिवन कर्ममय रहा। कभी-कभी तो काम में इतने लीन हो जाते थे कि भोजन करना ही भूल जाते थे। कर्मक्षेत्र में उनकी तद्परता और सहजता सदैव परिलाक्षित होती है। वे अपने कर्मचारियों में कर्म के प्रति आलस के भाव को बिलकुल भी पसंद नही करते थे। असंभव समझा जाने वाला कार्य जब शास्त्री जी को दिया जाता था तो वो उसे इतनी सरलता से पूर्ण कर देते थे कि विरोधी भी उनकी प्रशंसा किये बिना नही रह पाते थे। शास्त्री जी का एक-एक पल देशहित के कामों में समर्पित था। शास्त्री जी की लोकप्रियता का आलम ये था कि, उनके प्रारंभिक जीवन से ही अनेक लोग उन्हे पसंद करते थे। राजनीति के छलप्रपंच रूपी किचङ में वो कमल के समान थे। उनकी ईमानदारी एवं कतर्व्यनिष्ठा की आज भी मिसाल दी जाती है। राष्ट्र के पैसे को वो कभी भी स्वहित के लिये खर्च नही करते थे। भारत रत्न से अलंकृत लाल बहादुर शास्त्री जी राजनीति के भी अनमोल रत्न हैं। सादा जीवन और उच्च विचार की ज्योत जलाने वाले अनमोल रत्नो को उनके जन्म दिवस पर शत्-शत् नमन करते हैं। 
जय भारत 

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लोक हितकारी सितारे




1 comment:

  1. shastriji jaisa mahan vichron mahan tyag pursh iss deh meie pahlye kabhi naikha jinki ek awaz per pura desh ek saath hua ek din bhojan nahi khaya aaj congress ke saarye neta bhi ek saath bolye to desh ke any logon ki kya congress ke hi log bhokkye nahi rah saktye iss perkar ki vichar dhara jantye huye maha purush ko congress ne bhula diya aaj modi ji ne unkye baad desh ko nayi scoh di unkye marg ko apnya shatsriji jaisye mahan vayktivak ko meie sada naman kerta rahunga unki mata ji ka ashriwad sada unkye saath raha woh apnye path se nahi diggye aur unki patni ne bhi unki vaichar dharon ko zindagi bher apnaya yah bhartiya naari ka ek sach adarhmayi rup agar deykhnye ko mila to woh shatriji ka parivar meie sada unko naman kerta rahunga

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