Thursday 5 November 2015

इंसानियत को सलाम



मित्रों, आप सभी पाठकों को हार्दिक धन्यवाद। जैसा कि आप में से कई लोगों को पता है कि एक्सीडेंट की वजह से हम ब्लॉग पर पिछले महिने लिखने में असमर्थ रहे। कई पाठकों ने मुझे मेल करके मेरे स्वस्थ होने की शुभकामना दी। आप सबकी शुभकामनाएं और हम जिन बच्चों के लिये कार्य कर रहे हैं उनका प्यार तथा प्रार्थनाओं के बल पर हम स्वास्थ लाभ की ओर अग्रसर हैं और बहुत जल्दी नई ऊर्जा के साथ पूरी तरह से अपने कार्य क्षेत्र में लौट आयेंगे। 

आज हम , आप सबसे इंसानियत के उन हाँथों की बात करेंगे जिनके लिये जाँत-पाँत , धर्म - मजहब या जान पहचान माने नही रखती। हर मुसिबत में सहायता करने को उनके हाँथ तत्पर रहते हैं। बात करते हैं हम अपने एक्सीडेंट की मेरी कार की स्टेरिगं फेल हो गई थी जिससे कार पर कंट्रोल खत्म हो गया और कार सड़क के किनारे 7 फिट गढ्ढे में गिर कर पलट गई,  पलक झपकते ही ये एकसीडेंट हो गया लेकिन पता नही कहाँ से पल भर में कई लोग वहाँ इक्कठे हो गये हम लोगों को कार में से निकालने के लिये। ये वो लोग थे जिनका मकसद हम लोगों को तुरंत बाहर निकाल कर चिकित्सा कक्ष तक ले जाना था। फिर तो सड़क से गुजरने वाले और भी कई इंसानियत के हाँथ हम लोगों की मदद के लिये आगे आये उनमें सफर को जा रही महिलाओं ने भी हमारी मदद की। हम उन सभी इंसानियत के हाँथ को नतमस्तक धन्यवाद करते हैं जो किसी पहचान के मोहताज नही हैं। उस वक्त हम इस अवस्था में नही थे कि उन लोगों को धन्यवाद कह सकें किन्तु आज हम अपने ब्लॉग के माध्यम से तहे दिल से उन सबका शुक्रिया अदा करते हैं और उन सबकी इंसानियत को हमेशा अपने साथ रखते हुए इंसानियत की इस मशाल को अपने द्वारा भी प्रज्वलित रखेंगे।

मित्रों , अक्सर कुछ लोग कहते हुए मिल जाते हैं कि भारत में इंसानियत नही रह गई किन्तु मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि इंसानियत भारत के रग-रग में आज भी विद्यमान है क्योंकि ये मेरे दूसरे एक्सीडेंट का अनुभव है जो हाई वे पर हुआ जबकी पहला एक्सीडेंट इंदौर जैसे महानगर के बीच हुआ था। वहाँ भी पल भर में इंसानियत के हाँथ सहायता को आगे बढ गये थे, यहाँ तक कि जब तक हमारे घर से कोई आ नही गया वो अस्पताल में ही रहे। कहने का आशय ये है कि शहर हो या गॉव हर जगह मदद करने को लोग तैयार रहते हैं। उनको कोई धन्यवाद कहे या न कहे , पेपर में नाम छपे या न छपे , वे तो इंसानियत के नाते हर पल सेवा को तैयार रहते हैं रक्तदान हो या अन्य मदद की गुहार उनके हाँथ सहयोग के लिये सदैव बढते हैं।
मित्रों, मेरे साथ ही नही बल्की जिन लोगों ने भी ऐसी इंसानी मदद का अनुभव किया है उनसे यही गुहार करते हैं कि इंसानियत की इस श्रृंखला (chain) को और बड़ी तथा मजबूत बनायें। हम अपने इस ब्लॉग के माध्यम से , जाने अन्जाने इंसानियत के हाँथों को पुनः सलाम करते हैं. ये प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर हम सबको सच्चा इंसान बनने की सनमति दे

I believe that every human  minds feels pleasure in doing good to another. 

इसी के साथ ये अपील भी करना चाहेंगे कि कार में बैठने वाले सभी व्यक्ति को सीट बेल्ट जरूर लगानी चाहिये क्योंकि सीट बेल्ट बाँधने की वजह से हम लोग एक बहुत बङी दुर्घटना से बच गये थे। दो पहिया वाहन पर भी हेलमेट का इस्तमाल जरूर करना चाहिये 
धन्यवाद 

मन्ना  डे के गाये गीत से अपनी बात को विराम देते हैं. " इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा, यही पैगाम हमारा"


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